मौके हालात एहसास की स्याही अभिव्यक्ति आवाज आज कल और आज की स्याही। मौके हालात एहसास की स्याही अभिव्यक्ति आवाज आज कल और आज की स्याही।
बस अकेले ही लड़ रही थी वजूद खुद का ही मिटा रही थी. बस अकेले ही लड़ रही थी वजूद खुद का ही मिटा रही थी.
तपते रहे गली मोहल्ले सेवाभाव में हुजूर,वरना छत तो हमें भी नसीब थी। तपते रहे गली मोहल्ले सेवाभाव में हुजूर,वरना छत तो हमें भी नसीब थी।
अब तो सिमटकर सिमटने की जगह भी न बची,मेरे दर्दे दिल की दवा जीने की वज़ह भी न रही। अब तो सिमटकर सिमटने की जगह भी न बची,मेरे दर्दे दिल की दवा जीने की वज़ह भी न रही।
कितना आसान है वक़्त के साथ चलना, पर वक़्त को पकड़ना मुश्किल है... कितना आसान है वक़्त के साथ चलना, पर वक़्त को पकड़ना मुश्किल है...
चुपचाप नजरें झुका कर, खड़े हैं उनके सामने हकीकतों को बनकर अब, जज़्बात रहने दो…. चुपचाप नजरें झुका कर, खड़े हैं उनके सामने हकीकतों को बनकर अब, जज़्बात रहने दो…...